पूज्य श्री राजेश्वरानद जी के श्री मुख से – इस भाग में कैसे भगवान् शिव के मन में नारायण अवतार विश्वमोहिनी को पाने के लिए आकुल व्याकुल हुए, उनके शक्ति से स्खलित तेज़ से भगवान हनुमान जी का अंश दान हुआ..
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