पूज्य श्री राजेश्वरानद जी के श्री मुख से – क्योँ हनुमान जी को प्यास नहीं लगती और थकान नहीं होती, जब माता सीता को ढूँढने के लिए गए. क्या है प्रभु मुद्रिका और क्योँ रखी हनुमान जी मुख में, ( प्रभु मुद्रिका मैली मुख माहि, जलधि लांध गए अचरज नाही ).
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